Surajpur News: सूरजपुर शिक्षा विभाग में नियमों की धज्जियाँ! संलग्नीकरण आदेश बना भ्रष्टाचार का अड्डा

संलग्नीकरण आदेश

CGHalchal अंबिकापुर/सूरजपुर।
सूरजपुर जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक गंभीर मामला उजागर हुआ है, जिसने न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि शासन की नीतियों और आदेशों के अनुपालन को लेकर भी गहरी चिंता जताई है। ताजा मामला स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में व्याख्याताओं को मनमाने ढंग से प्राचार्य पद पर संलग्न करने का है, जबकि संबंधित विद्यालयों में नियमित प्राचार्य पहले से पदस्थ हैं।

WhatsApp Image 2025 09 23 at 9.30.55 PM

नियमों की खुलेआम अनदेखी

शिकायतकर्ता ( RTI ACTIVIST) अमित गुप्ता द्वारा संभागायुक्त अंबिकापुर को प्रेषित ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि शिक्षा विभाग ने शासन के 2 दिसम्बर 2025 के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए संलग्नीकरण (Attachment) की कार्यवाही की है। उक्त आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि शिक्षकों का किसी भी प्रकार का संलग्नीकरण नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके, विभागीय अधिकारियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नियमों की अनदेखी की और आदेशों को ताक पर रखकर मनमानी पदस्थापना कर दी।

किन अधिकारियों के नाम आए सामने?

शिकायत में जिन दो शिक्षकों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, वे हैं—

  • दिव्यकांत पांडे (व्याख्यता ) , जिनकी मूल पदस्थापना शासकीय हाई स्कूल कसकेला (भैयाथान विकासखंड) में है। इसके बावजूद उन्हें स्वामी आत्मानंद विद्यालय, बसदई में प्राचार्य पद पर संलग्न कर कार्य कराया जा रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि मंत्रालय स्तर से उन्हें प्राचार्य बनाने का कोई आदेश जारी ही नहीं हुआ है, फिर भी जिला शिक्षा अधिकारियों ने उन्हें प्राचार्य का कार्यभार सौंप दिया। यह सीधा-सीधा नियम उल्लंघन और अधिकारों का दुरुपयोग है।
  • आशीष पटेल (व्याख्यता ) , जिनकी मूल पदस्थापना अन्य विद्यालय में है, लेकिन उन्हें भी स्वामी आत्मानंद विद्यालय, डांडकरवा में प्राचार्य बनाकर पदस्थ कर दिया गया।

शिकायत में आरोप है कि इन अधिकारियों के प्रभार ग्रहण करने के बाद से विद्यालयों में शासकीय खरीदी और व्यय की पारदर्शिता संदिग्ध रही है। यही कारण है कि इस पूरे मामले में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की गहरी आशंका व्यक्त की जा रही है।

पहले भी उठ चुकी है शिकायत

यह पहला मौका नहीं है जब आत्मानंद विद्यालयों में पदस्थापना को लेकर अनियमितताओं की शिकायत सामने आई हो। 12 सितम्बर 2025 को कलेक्टर सूरजपुर को की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि एक सहायक शिक्षक को आत्मानंद विद्यालय का वर्ग प्रभारी (Class In-charge) बनाकर उनसे सेवा ली जा रही थी। यह भी सेवा आचरण नियमों और शासन की नीति का खुला उल्लंघन था।

सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन

शिकायत में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1965 की भी चर्चा की गई है। नियम 3(1) के तहत प्रत्येक सरकारी सेवक को ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करना अनिवार्य है, जबकि नियम 3(2) और 3(3) के अनुसार किसी भी प्रकार से शासन की छवि को नुकसान पहुंचाना और शासन आदेशों की अवहेलना करना गंभीर अनुशासनहीनता माना जाता है। आरोप है कि संबंधित अधिकारियों ने इन सभी नियमों का उल्लंघन किया है।

जांच और कार्रवाई की मांग

शिकायतकर्ता ने मांग की है कि—

  • इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
  • संलग्नीकरण आदेश देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों और शिक्षकों पर अनुशासनात्मक एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
  • शासकीय धन के दुरुपयोग की आशंका को ध्यान में रखते हुए विशेष ऑडिट (Audit Inquiry) कराई जाए।
  • भविष्य में इस तरह के अवैध संलग्नीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल

यह मामला केवल एक-दो विद्यालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। जब शासन ने स्पष्ट आदेश पारित कर दिया है, तो उसके बावजूद अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी करना प्रशासनिक व्यवस्था की साख पर प्रश्नचिह्न है। यदि इस पर समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर पड़ेगा।

Join WhatsApp

Join Now

Latest Stories

Leave a Comment