Fish Farming छोटे से गांव की बड़ी कहानी: मछली पालन से बनीं लाखों की मालकिन, 20 लोगों को दिया रोजगार

Fisheries

जांजगीर-चांपा। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुरूप युवाओं और ग्रामीणों को अब स्वरोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। सरकारी योजनाओं की मदद से न सिर्फ लोग अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार का रास्ता खोल रहे हैं।
ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है योगेश्वरी कश्यप की, जो जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखंड के गांव पचेड़ा की रहने वाली हैं।

खेती से शुरू हुई यात्रा, मछली पालन बना पहचान

योगेश्वरी पहले खेती-किसानी और घर के कामों में पति का हाथ बंटाती थीं। लेकिन उन्होंने ठान लिया कि खुद का व्यवसाय शुरू करेंगी और गांव के लोगों को भी काम देंगे।
इसी दौरान उन्हें मत्स्य पालन की जानकारी मिली। उन्होंने अपनी जमीन पर तालाब निर्माण के लिए मनरेगा योजना के तहत आवेदन किया। शासन ने स्वीकृति दी और तालाब तैयार हुआ। यहीं से उनकी किस्मत बदल गई।

लाखों की सालाना कमाई

योगेश्वरी ने तालाब में रोहू, पंगासिंस, कतला, मृगल और कॉमन कार्प जैसी मछलियों का बीज डाला।
आज उनके मेहनत का नतीजा है कि –

  • हर साल 6 से 7 टन मछली का उत्पादन होता है।
  • थोक में ₹120 किलो के हिसाब से बेचने पर सालाना 10–11 लाख रुपये की आय होती है।
  • खर्च निकालने के बाद भी उन्हें 7–8 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो रही है।

दूसरों को भी रोजगार

योगेश्वरी का यह व्यवसाय अब सिर्फ उनके परिवार तक सीमित नहीं है। उनके काम में आज 15 से 20 लोग स्थायी रोजगार पा रहे हैं। यानी उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि गांव के युवाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया।

मिसाल बनीं योगेश्वरी

योगेश्वरी कश्यप की मेहनत और लगन ने यह साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नहीं। उनकी सफलता से –

  • परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है।
  • गांव के दूसरे लोग भी स्वरोजगार की ओर प्रेरित हो रहे हैं।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

योगेश्वरी आज गांव में सिर्फ एक सफल महिला उद्यमी ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की सच्ची तस्वीर बन चुकी हैं।

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