CG Halchal न्यूज़: अपनों को बचाने का खेला, अभ्यावेदन से फिर शुरू हुई ज्वाइनिंग फ्रॉड की राजनीति छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में है। डीईओ और बीईओ कार्यालयों पर आरोप है कि उन्होंने इस पूरे दौर को अपनों को बचाने और मनमानी नियुक्तियों का जरिया बना लिया।
बिलासपुर हाई कोर्ट में दायर शिक्षकों की याचिका से ही साफ हो गया था कि विभागीय अफसर इस प्रक्रिया को अवसर मानकर जमकर खेल खेल रहे हैं। आरोपों के मुताबिक, फाइलें कभी बंद ही नहीं होतीं—हर बार कोई नया बहाना मिल जाता है।
स्कूल शिक्षा विभाग का यह तथाकथित “नया प्रयोग” अब भी जारी है। ताज़ा घटनाक्रम में अभ्यावेदन को हथियार बनाकर ज्वाइनिंग का नया खेल शुरू कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अधिकारी पूरी प्रक्रिया को लटकाए रखने में ही फायदे देख रहे हैं, जबकि शिक्षक वर्ग लगातार असमंजस और अन्याय का शिकार हो रहा है।
DEO–BEO दफ्तर में फिर खेला: अस्वीकृत अभ्यावेदन अब बना ज्वाइनिंग का हथियार
हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिला स्तरीय समिति ने जिन शिक्षकों के अभ्यावेदन ठुकरा दिए थे, तीन महीने बाद वही फाइलें फिर खोली गईं।
खटराल बाबुओं ने पुराने आवेदन खंगाले और हाई कोर्ट का हवाला देकर दोबारा अभ्यावेदन बुलवा लिया।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अभ्यावेदनों को पहले अमान्य बताया गया था, अब उन्हीं को मान्य कर उसी स्कूल में ज्वाइन करा दिया गया—जहां से शिक्षक को अतिशेष घोषित किया गया था।
वन टाइम रिलैक्सेशन के तहत शिक्षकों की पदोन्नति के बाद, नियमों की अनदेखी करते हुए, संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय ने मनमाने तरीके से पदस्थापना आदेश जारी किए और शिक्षकों से अवैध वसूली की। इसमें वरिष्ठता, महिलाओं और दिव्यांग शिक्षकों की अनदेखी की गई। शिकायत करने वाले शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया और घोटाले को छिपाने के लिए नए तरीके अपनाए गए।