डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल प्रतापगढ़ सीतापुर में दूसरी कक्षा की छात्रा को सौ बार उठक-बैठक कराने के मामले ने बड़ा तूल पकड़ लिया है। इस आरोप में बर्खास्त की गई शिक्षिका नम्रता गुप्ता ने अब खुलकर अपनी बात रखी है।
शिक्षिका ने लगाए एकतरफा कार्रवाई के आरोप
नम्रता गुप्ता ने बयान जारी कर कहा –
“यदि किसी ने मुझे बच्ची को उठक-बैठक कराते देखा है, तो सामने आकर प्रबंधन को बताए। अगर जांच में मैं दोषी पाई जाती हूं तो किसी भी सजा के लिए तैयार हूं। लेकिन बिना मेरी बात सुने मुझे दोषी ठहराना बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षक दिवस के दिन डीएवी प्रबंधन ने बिना जांच किए और बिना उनका पक्ष सुने एकतरफा फैसला ले लिया।
छात्रा की तबीयत बिगड़ने से मचा हड़कंप
मामला तब सुर्खियों में आया जब छात्रा को कथित तौर पर 100 बार उठक-बैठक कराने के बाद उसके पैरों में गंभीर समस्या हो गई और परिजन उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए। इसी घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से शिक्षिका को बर्खास्त कर दिया।
“मीडिया और प्रबंधन ने बिना सुने दोषी ठहराया”
शिक्षिका का कहना है कि मीडिया और स्कूल प्रबंधन दोनों ने उनकी दलील सुने बिना ही उन्हें दोषी घोषित कर दिया। उन्होंने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और सभी पक्षों को सुना जाए।
अब बड़ा सवाल
यह विवाद केवल एक घटना का नहीं बल्कि सवाल यह है कि क्या बिना जांच और बिना दोनों पक्षों की बात सुने किसी शिक्षक को बर्खास्त कर देना सही है? अब सबकी निगाहें प्रबंधन और जांच प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं।