रायपुर, 28 सितंबर: कहते हैं मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयास कभी बेकार नहीं जाते। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं गौरेला-पेंड्रा मरवाही जिले के पेंड्रा ब्लॉक के देवरीखुर्द गांव की दानवती आर्माे। कभी सिर्फ 90 डिसमिल जमीन पर खेती करने वाली दानवती आज 7 एकड़ खेतों में लौकी, तोरई और मिर्च जैसी सब्ज़ियों की आधुनिक तकनीक से खेती कर रही हैं। अब वे न सिर्फ खुद कमाई कर रही हैं बल्कि गांव की कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
कैसे बनी ‘लखपति दीदी’?
दानवती तुलसी महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग जैसी आधुनिक तकनीकें अपनाईं। इससे पानी की बचत हुई और फसलों का उत्पादन कई गुना बढ़ा। लौकी और तोरई की खेती के साथ-साथ वे बकरी और मछली पालन से भी अच्छी कमाई कर रही हैं।
बिहान योजना ने बदल दी किस्मत
बिहान योजना से जुड़ने के बाद दानवती को खेती से लेकर मार्केटिंग तक का पूरा प्रशिक्षण मिला। साथ ही ऋण प्रबंधन और कृषि योजना बनाने में भी मदद मिली। इसी के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने गांव की महिलाओं को संगठित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखाई।
महिलाओं के लिए मिसाल
दानवती के साथ काम करने वाली महिलाएं कहती हैं— “दानवती दीदी से जुड़कर हमने सिर्फ खेती ही नहीं सीखी, बल्कि जीने का तरीका भी बदल गया। अब हम खुद पर गर्व कर सकते हैं।” महिलाओं ने यह भी बताया कि महतारी वंदन योजना और बिहान योजना ने उनकी आर्थिक मजबूती में अहम भूमिका निभाई।
सरकार की सराहना
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी दानवती की सफलता की तारीफ़ की और कहा— “अब गांव की महिलाएं भी लखपति दीदी बन रही हैं। हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हर महिला आत्मनिर्भर बने। इसके लिए सरकार की योजनाएं किसी वरदान से कम नहीं हैं।”
प्रेरणादायी सफर
दानवती आर्माे की यह कहानी बताती है कि संसाधनों की कमी कभी बाधा नहीं बनती। मेहनत और हौसले से एक साधारण महिला कैसे सफल उद्यमी और रोजगार देने वाली ‘लखपति दीदी’ बन सकती है, यह हर महिला के लिए बड़ी प्रेरणा है।